
विरासत बचाने के लिए प्रीतम ने कांग्रेस को भट्टी में झोंका
– जोत सिंह गुनसोला को विदड्रा करे कांग्रेस, बॉबी को दे समर्थन
– चकराता के विकास के लिए प्रीतम और मुन्ना का प्रभुत्व खत्म करना जरूरी,
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार प्रीतम सिंह ने टिहरी से चुनाव नहीं लड़ा। 2019 के चुनाव में माला ने उन्हें लगभग तीन लाख वोटों से हरा दिया था।
इस बड़ी हार का एक बड़ा कारण यह था कि प्रीतम को चकराता के बाहर कोई जानता ही नहीं है। वह प्रदेश अध्यक्ष रहे, नेता प्रतिपक्ष रहे लेकिन कभी भी जनता के लोकप्रिय नेता नहीं रहे। उनकी चिन्ता यही है कि किसी तरह से उनका परम्परागत किला चकराता बचा रहे। वह अपनी यह विरासत अपने और अपने बेटे को ही देना चाहते हैं। यही कारण है कि जब टिहरी में कांग्रेस को एक दमदार कंडिडेट चाहिए था तो वह पीछे हट गये।
टिहरी में कांग्रेस ने जोत सिंह गुनसोला को मैदान में उतारा है।
गुनसोला न तो इतने कद्दावर नेता हैं कि राजशाही का मुकाबला कर सकें और न उनके वश की मोदी लहर की काट है। उन्हें पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने सीएयू में अध्यक्ष पद दिलाया, लेकिन वह बहक गये और इसका खमियाजा उत्तराखंड के क्रिकेट खिलाड़ी आज तक भुगत रहे हैं। गुनसोला प्रदेश के युवाओं के गुनाहगार हैं। कांग्रेस को एक बार फिर विचार करना चाहिए कि थके, हारे और बेबस आदमी का टिकट बदल दिया जाएं। यह सही है कि कांग्रेस का कैडर वोट उन्हें मिल जाएगा लेकिन खुद वह 1000 वोट भी नहीं ला सकते।
यदि कांग्रेस इंडिया गठबंधन की बात करती है तो पार्टी हाईकमान को विचार करना चाहिए कि युवा नेता बॉबी पंवार को बिना शर्त समर्थन करे।
बॉबी टिहरी की राजसत्ता के साथ ही साथ चकराता और विकासनगर में चले आ रहे वंशवाद की बेल को भी बढ़ने से रोकने का काम कर सकता है। चकराता और विकासनगर का विकास तब तक नहीं हो सकता है जब तक वहां से प्रीतम सिंह और मुन्ना सिंह चौहान को न खदेड़ा जाएं। ये दोनों नेता चकराता के विकास में बाधक हैं। ये नेता नहीं चाहते कि यहां के लोग जागरूक हों और विकास करें। उन्हें खतरा है कि यदि ऐसा हो गया तो उनके वंश की बेल रुक सकती है।
