देहरादून शहर की सबसे बड़ी सब्ज़ी मंडी निरंजनपुर चौक की, जहाँ पर चौक के बीचो बीच खड़े पोल पर लगी स्ट्रीट लाइट की, जो काफ़ी दिनों से ख़राब अवस्था में नज़र आ रही है लेकिन उसके ठीक करने की तरफ़ किसी का ध्यान नहीं है।

देहरादून- सरकारी कागजों में चमकते स्मार्ट सिटी की जमीनी स्तर पर बत्ती गुल: मीडिया रिपोर्ट
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(सच की आवाज़)
कई सौ करोड़ का बजट स्मार्ट सिटी के नाम से सरकार ने राजधानी को पेरिस बनाने के लिए पानी की मानिंद बहा दिया लेकिन ना तो वो करोड़ों का बजट रोड से पानी हटाता नज़र आया और ना हि चमकती चमचमाती राजधानी का सपना दिखाने का वादा कहीं नज़र आता है, अगर नज़र आता है तो सिर्फ़ राजधानी के महत्वपूर्ण चौक चौराहों पर लगी स्ट्रीट लाइटों की फ्यूज होती क़िस्मत और चारों और फैला अंधेरा।
रात को जब राजधानी में निकला जाए तो ऐसा लगता है जैसे हॉलीवुड फ़िल्मों में दिखती कोई डरावनी रात का फ़िल्माए जाने वाले सीन का दृश्य हो।
स्ट्रीट लाइट्स तो आपको देखने में नज़र आ जाएगी लेकिन उनके फ्यूज उड़े हुए ऐसे नज़र आयेंगे जैसे किसी शादी में लटक रही कोई शो पीस आर्टिफिशियल लाइटें हो।
जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तराखंड प्रदेश की ख़ूबसूरत वादियों का शहर कहे जाने वाले देहरादून की। जहाँ की हालत ये है कि रात में जगमगाने वाली स्ट्रीट लाइटें बिना रोशनी करे लटकी दिख जाएगी, लेकिन उनकी सुध लेना वाला कोई नहीं है। ना तो नगर निगम को कोई परवाह और ना किसी संबंधित अधिकारियों को इसकी कोई खबर, अंधेरे का दंश अगर झेल रहा है तो वो है आम जनता।
हम बात कर रहे है देहरादून शहर की सबसे बड़ी सब्ज़ी मंडी निरंजनपुर चौक की, जहाँ पर चौक के बीचो बीच खड़े पोल पर लगी स्ट्रीट लाइट की, जो काफ़ी दिनों से ख़राब अवस्था में नज़र आ रही है लेकिन उसके ठीक करने की तरफ़ किसी का ध्यान नहीं है।
अगर बात करे अन्य दूसरे स्थानों की वहाँ की भी कमोबेश यही स्तिथि है।
आख़िर नगर निगम और वार्ड के पार्षद का ध्यान इस और क्यों नहीं है?
आख़िर ध्यान होगा ही क्यों, क्यूंकि सबको अपने अपने टिकट की जो पड़ी है।
सभी अपनी-अपनी राजनीति की फ़िक्र में तो है लगे हैं लेकिन जनहित की मूलभूत सुविधाओं पर किसी का ध्यान बिल्कुल नहीं नज़र आता है।
आम जनता एवं राह चलते राहगीरों को इन समस्याओं से हर दिन दो चार होना पड़ रहा है।
आख़िर प्रदेश की राजनीति के हेडक्वार्टर देहरादून में इस स्तर की लापरवाही क्यों है ?
जब प्रदेश की राजधानी देहरादून की हालत ऐसी है तो दूसरे शहरों एवं क़स्बों के क्या हालात होंगे, ये बड़ा सोचनीय एवं गंभीर विषय है।
ट्रू मीडिया हाउस, नगर निगम एवं संबंधित अधिकारियों से अपील करता है कि जनमानस की मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जाए एवं ख़राब पड़ी चौक चौराहों की लाइटों का संज्ञान लेकर उनको जल्द ठीक कराया जाए ताकि आम जनमानस को असुविधा का सामना ना करना पड़े।
रिपोर्ट- इफ़्तिख़ार अंसारी (जर्नलिस्ट)
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