हल्द्वानी दंगे के दोषी पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई जरूरी है। जमीयत उलेमा की ओर से हलद्वानी पुलिस फायरिंग के पीड़ितों को प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपये और राहत के लिए 25 लाख रुपये की तत्काल सहायत.

हल्द्वानी फायरिंग के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई ज़रूरी
पहले हम देश की आज़ादी के लिए लड़े, अब लगता है हमें आज़ादी की सुरक्षा के लिए लड़ना होगाः- मौलाना अरशद मदनी,
जमीयत उलमा-ए-हिंद की कार्य समिती में हल्द्वानी पुलिस फायरिंग में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति को दो लाख रुपये की तत्काल सहायता और रीलीफ के लिए 25 लाख रुपये देने की घोषणा,
अब भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि लोगों पर अन्यायपूर्ण क्रूरता की गई, यहां तक कि छः ऐसे लोगों को गोली मार कर शहीद कर दिया गया जो पेशे से मज़दूर थे और अपना काम पूरा करके घर लौट रहे थे। अब उन पर ही दंगा और हिंसा का सारा दोष थोप कर न केवल उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है बल्कि उनसे नुकसान की भरपाई भी करने को कहा गया है, यह कहां का न्याय है? बड़ा प्रश्न यह है कि स्थानीय लोगों का जो नुक़सान हुआ और जो छः क़ीमती जानें गई हैं इसका ज़िम्मेदार कौन है? और क्या इसकी कोई जांच नहीं होनी चाहिए और क्या इसका कोई जुर्माना नहीं मांगा जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि पूरा हल्द्वानी शहर वसीयत की ज़मीन पर आबाद है, ऐसे में अगर मस्जिद और मदरसे को अवैध घोषित कर ध्वस्त किया जा सकता है तो वहां स्थापित अन्य धर्मों के पूजा स्थल को केसे वैध कहा जा सकता है? इससे स्पष्ट है कि ऐसा धार्मिक भेदभाव के आधार पर किया गया और इसका उद्देश्य शहर के सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाना और मुसलमानों को सबक़ सिखाना है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लेती और पीड़ितों के लिए उचित मुआवज़े की घोषणा नहीं करती तो शीघ्र ही जमीअत उलमा-ए-हिंद इसके खिलाफ अदालत जाएगी।
मौलाना मदनी ने अंत में कहा कि अगर फासीवादी दल और उनके समर्थक यह सोचते हैं कि इस अत्याचार एवं क्रूरता के आगे मुसलमान झुक जाएंगे तो यह उनका भ्रम है, यह हमारा देश है, हम यहीं पैदा हुए हैं, हमारे बाप-दादा ने इस देश के निर्माण एवं विकास में न केवल अहम भूमिका निभाई है बल्कि इसकी आज़ादी के लिए अपने जीवन का बलिदान तक किया है, इसलिए हमदेश में मुसलमान ही नहीं किसी भी वर्ग के साथ होने वाले अन्याय, भेदभाव का व्यवहार और अत्याचर एवं क्रूरता को बर्दाश्त नहीं सकते ।
बैठक में अध्यक्ष जमीअत उलमा के अतिरिक्त उपाध्यक्ष मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी, महासविच मुफ्ती सैयद मासूम साक़िब, उपाध्यक्ष मौलाना सैयद असजद मदनी, मुफ्ती गयासुद्दीन रहमानी हैदराबाद, मौलाना बदर अहमद मुजीबी पटना, मौलाना अब्दुल्लाह नासिर बनारस, कारी शम्सुद्दीन कोलकाता, मुफ्ती अशफ़ाक़ अहमद आजमगढ़, हाजी सलामतुल्लाह दिल्ली, मौलाना फजलुर्रहमान क़ासमी, मुफ्ती अब्दुलकय्यूम मंसूरी गुजरात अथवा विशेष आमंत्रित के रूप में मौलाना मुहम्मद राशिद राजस्थान, मौलाना मुहम्मद मुस्लिम क़ासमी दिल्ली, मौलाना मुहम्मद अहमद भोपाल, ऐडवोकेट शाहिद नदीम मुंबई, मुफ्ती अब्दुर्राज़िक़ मज़ाहिरी दिल्ली, मौलाना अब्दुलक़य्यूम मालेगांव, मुफ्ती हबीबुल्लाह जोधपुर आदि शरीक हुए । बैठक आदरणीय अध्यक्ष की दुआ पर संपन्न हुई।