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फितना शकील को आसान लफ्जों में यूं समझे, बिल्कुल आसान है इस धोखेबाज को समझना,

फितना शकील को आसान लफ्जों में यूं समझे…..

 

मेरे प्यारे दीनी भाईयो बहनों और नौजवानों, जैसे मीठे पान में थोड़ा थोड़ा संखिया मिला कर खिलाने से इंसान खुद ही मर जाता है और पता भी नही लगता इसी तरह से फितना शकील बे इमानों की मीठी गोली है जो पहली ही खुराक में ईमान खत्म कर देती हैं जहां यह माना कि शकील नामी यह धोखेबाज इमाम मेंहदी और ईसा मसीह दोनो यह शकील पुत्र हनीफ है।

बिलकुल आसान है इस धोखेबाज को समझना।

 

1. दुनिया में इमाम मेंहदी होने का हजारों लोगों ने दावा किया हजारों मेंहदी ईरान की जेलों में सजा काट रहे हैं। ईसा मसीह होने का भी झूठे नबी होने का भी दावा किया गया। मगर एक ही व्यक्ति दोनो इमाम मेंहदी और ईसा मसीह होने का दावा दुनिया में पहली बार मिर्जा गुलाम अहमद काद् यानी ने पंजाब में और दूसरे शख्स शकील ने औरंगाबाद हमारे मुल्क में किया। अगर गुलाम अहमद कादयानी और उसके मानने वाले को अपने इस दावे की बिना पर सरकारी तौर पर इस्लाम से खारिज मुर्तद माना जाता है तो शकील पुत्र हनीफ वा उसके मानने वाले भी इस्लाम वा ईमान से खारिज और मुर्तद माने जाएंगे।

 

2. हजरत ईसा मसीह को अल्लाह ने लगभग दो हजार वर्ष पूर्व तकरीबन 33 साल की उम्र में आसमानों पर उठा लिया और उनको उसी उम्र के नौजवान की हय्यत में दोबारा अल्लाह के हुक्म से दमिश्क मुल्क शाम ( सीरिया) में आसमानों से दज्जाल और उसके फितने को खत्म करने के लिए उतारा जाएगा। यह दोनो शख्स गुलामअहमद कादयानी और शकील पुत्र हनीफ अपनी मां की कोख और अपने बाप के नुत्फे से पंजाब और बिहार में पैदा हुए और पले बड़े। एक की मौत हो चुकी हैं और दूसरे की जिंदगी मौत की तरफ बढ़ रही हैं। अल्लाह की यह शान है की मुर्दो को जिंदा कर देते हैं और तमाम इंसानों को कयामत में हिसाब किताब के लिए जिंदा करेंगे मगर एक मां के पेट से एक बच्चे को दो बार पैदा नहीं फरमाते यह बात फितरत खुदा वंदी के खिलाफ है इसलिए हजरत ईसा इब्न मरयम एक बार पैदा हो चुके है दुबारा वह किसी मां की कोख से पैदा नहीं हो सकते। इसलिए इस दोनो मरदूदो का यह दावा भी झूठा, कुरान हदीस और गॉस्पेल ( इंजील मुक्वदास) के इरशादात के खिलाफ है इस बिना पर यह दोनो और इनके मानने वाले ईमान से खारिज और मरदूद वा मुर्तद हैं।

 

3. हजरत ईसा मसीह की तशरीफ आवरी का मकसद दज्जाल की खुदाई, यहुदिओ की कौम को सजा देना और फितना याजूज माजूज को खत्म करना और तमाम जमीन पर अल्लाह का दीन और निज़ाम कायम करना है। दज्जाल आपकी आमद के फौरन बाद आपको मस्जिद के दरवाजे के बाहर मिलेगा और भाग जाएगा जिसको आप लुद्द (इजरायल) में कत्ल करेगे। दज्जाल हजरत ईसा की निगाह पड़ने पर पानी में नमक की तरह पिघल जाएगा। इस सब की रोशनी में इन दोनो मरदूदो (गुलाम अहमद कादयानी और शकील पुत्र हनीफ) का दावा बातिल और झूठा है। क्योंकि अभी दज्जाल आया ही नहीं है और तमाम दुनिया के यहूदी दज्जाल की आने की तैयारी कर रहे हैं।

 

4. मुसलमानों यह दौर तुम्हारे ईमान की आजमाईश का दौर है। यह सारे फितने, फितना इर्तेदाद से जुड़े हैं जिसको हजरत अबू बकर सदीक ने सख्ती से कुचला था आज यह नई चाल ढाल से आजकल घर वापसी, कादियानित और शकीलियत जैसे नामों से आपके समाज को मुतासिर कर रहे है और लोगो का ईमान छीन रहे हैं इससे अपने आप को भी और अपनी नस्लो को बचाना है। इसलिए दानिशवरान मिल्लत कमर बसता होकर खड़े हो जाइए।

“वक्त फुरसत है कहां, काम अभी बाकी है।

नूर तौहीद का इतमाम, अभी बाकी हैं।”

 

फकत वस्सलाम,

खुर्शीद अहमद

(जनरल सेक्रेटरी जमीयत उलेमा हिंद देहरादून ), 37 प्रीति एनक्लेव माजरा देहरादून। मोबाईल 9548310328

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