शिक्षा का महत्व बस इस तस्वीर से समझा जा सकता है… एक समय था जब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को स्कूल में मनुवादी सोच के चलते न तो साथ बैठने दिया जाता था, न ही उनको स्कूल का पानी पीने दिया जाता था… उन्हें समाज के सबसे निचले पायदान पर धकेल दिया गया था… यही होता था उस समय…

शिक्षा का महत्व बस इस तस्वीर से समझा जा सकता है… एक समय था जब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को स्कूल में मनुवादी सोच के चलते न तो साथ बैठने दिया जाता था, न ही उनको स्कूल का पानी पीने दिया जाता था… उन्हें समाज के सबसे निचले पायदान पर धकेल दिया गया था… यही होता था उस समय…
और आज का दिन है जब हर असेंबली की हर सीट पर बाबा साहब की मौजूदगी एक प्रेरणा बनकर छाई हुई है… और ये सब मुमकिन हुआ सिर्फ़ डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की शिक्षा के कारण… दरअसल यह सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं, यह सदियों की पीड़ा, संघर्ष और विजय का प्रतीक है… यह सफ़र उस अपमान से शुरू हुआ था जहां उन्हें इंसान तक नहीं समझा गया, और आज यह वहां पहुंचा है जहां वह न्याय और समानता के सर्वोच्च प्रतीक बन गए हैं…यह तस्वीर हमें सिखाती है कि बदलाव संभव है, और इंसानियत का असली धर्म समानता है… और ये तभी मुमकिन है जब समाज शिक्षित होगा… और मनुवादी सोच यही नहीं चाहती… पिछड़ी जाति अगर शिक्षित ही गई तो सबसे पहले मनुवादी सोच की अर्थी जलेगी… आज इसीलिए शिक्षा पर सत्ताधारी पार्टी कोई कार्य नहीं कर रही… जिम्मेदार कौन?…