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जिंदगी में स्टंट या रैश ड्राइविंग रोमांच नहीं है, मौत है,पोर्श जैसी कीमती कार भी नहीं बचा सकती है जान,…….अपने लाडलों को सही सीख दें और जागरूक करें 

जिंदगी में स्टंट या रैश ड्राइविंग रोमांच नहीं है, मौत है

– पोर्श जैसी कीमती कार भी नहीं बचा सकती है जान

– अपने लाडलों को सही सीख दें और जागरूक करें ,

लेखक,…………………. गुणानंद जखमोला जी

 

कल शाम को मैं वॉक से वापस घर लौट रहा था। देखा गली में दो छोटे बच्चे साइकिल पर स्टंट कर रहे थे। एक पहिए पर साइकिल चला रहे थे। न हेडगेयर था, न कोई सुरक्षा थी। साइकिल रपट जाती तो हेड इंजरी तय थी। मैं उनके पीछे दौड़ा और उनको डांटा तो वो मुंह बिदका कर चले गये। ऐसा अक्सर होता है। दिल्ली में था तो धौलाकुंआ से झंडेवालान और कैट इलाके में कई स्टंटबाज बाइक सवार नजर आते थे। गुड़गांव में था तो मानेसर टोल रोड पर रात को यह नजारा दिखता था। देहरादून में राजपुर रोड पर मॉडीफाइड बाइक सुपरसानिक की तर्ज पर आपके बगल से गुजर जाती हैं तो आपकी सांसें थम जाती हैं।

पुणे में 18 मई को पोर्श कार में सवार नशे में धुत्त बिगड़े रईसजादे ने बाइक पर टक्कर मार दो युवा इंजीनियरों की जान ले ली। कोर्ट ने उसे सड़क हादसों पर निबंध लिखने की सजा देकर जमानत दे दी। यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन सवाल यह है कि कैसे मां-बाप है कि नाबालिग को कार दे दी। पोर्श 88 लाख से साढ़े चार करोड़ की कार होती है। लेकिन अधिक कीमत होना किसी की जान लेने या अपनी जान गंवाने की गारंटी नहंी देती। यह तो पेरेंट्स को ही सोचना है। बता दूं कि देश में हर घंटे में 19 लोगों की मौत सड़क हादसे में हो जाती है।

मां किस तरह से अपने बेटे को बिगाड़ती है इसका एक और उदाहरण दे दूं। 17 अप्रैल की बात है। मैं एक शादी समारोह में जा रहा था। एक नाबालिक पंच चला रहा था। कार पार्किंग के समय जब उसकी दादी पीछे की सीट से उतर रही थी तो उसके कार आगे बढ़ा दी। दादी गिरते-गिरते बची। पार्किंग में उसने मेरी कार को टक्कर मार दी।

मैंने उतर कर कहा कि ढंग से कार चलाओ तो कंडक्टर सीट पर बैठी उसकी मां मुझे डांटते हुए जोर से बोली, चुप। मैंने उसे कहा, जब ये मरेगा या किसी को मारेगा तो क्या करोगी? उस भद्र महिला ने एक बार गर्दन को जोर से झटका दिया और मुझे दोबारा कहा, चुप। इसके बाद उसके बेटे ने कार भगा दी।

कहने का अर्थ यह है कि आप अपने बच्चों को साइकिल दें, बाइक दें या कार दें। उन्हें समझाएं कि यातायात नियमों का पालन करें। रैश ड्राइविंग न करें या स्टंटबाजी न करें। नाबालिगों को तो कतई वाहन न दें। अपनी और किसी दूसरे की जिंदगी बहुत कीमती है। इसे व्यर्थ न गवाएं।

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